हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको जादुई मटके की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंग...
हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको जादुई मटके की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब इस कहानी को शुरू करते हैं।
जादुई मटके की कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक काशीपुर नाम का एक गांव था। उस गांव में 200 के करीब घर थे।अर्थात वह बहुत बड़ा गांव था। उस गांव में ज्यादातर लोग खेती करते थे।और अपने परिवार का पेट पालते थे। उस गांव में किसान मध्यमवर्गीय थे।न ही वो ज्यादा गरीब थे न ही ज्यादा अमीर।उस गांव में एक रामलाल नाम का एक किसान रहता था।वो भी और किसानों की तरह कृषि कार्य करता था और अपने परिवार का पेट पालता था।एक दिन की बात है।किसान को जादुई मटका मिलना
रामलाल अपने घर से खाना लेकर खेत की ओर निकला और लगभग 5 कोश की पैदल यात्रा करके वहां अपने खेत पर पहुंचा।उसने अपने खाने को एक साइड में रख दिया और खेत को हल चला कर जोतने लगा।बहुत देर तक हल चलाने के बाद खेत के किनारे पर उसका हल रूक गया और वो आगे नहीं बढ़ पा रहा था।उसने सोचा कि इस जगह क्या हो सकता है?फिर उसने हल को रखकर उस जगह नीचे खुदाई की और देखा कि उस जगह नीचे एक मटका दबा हुआ था।उसने उस मटके को निकाला और अपने खाने के पास रख दिया और वापस हल चलाने लगा।दोपहर के समय किसान बहुत ही थक गया था और उसे भूख भी बहुत लग रही थी। तो उसने खाना खाने की सोचा।उसने हल को एक जगह रखकर अपने हाथों को धोकर खाना खाने लगा।खाना खाने के पश्चात उसका थोड़ा सा खाना बच गया था।उसने उस खाने को मटके के अंदर रख दिया था।अब शाम का समय हो गया था उसने सोचा कि मुझे अब चलना चाहिए।किसान का मटके को घर ले जाना
वह उस मटके को लेकर चलने लगा।उसने देखा उस मटके में पहले की अपेक्षाकृत अधिक वजन है।उसने देखा कि मैंने जो खाना रखा था उसका इतना वजन कैसे हो सकता है?उसने सारे खाने को बाहर निकाला तो देखा कि उसने जो खाना रखा था उस खाने का दो गुना खाना वहां हो चुका है।उसने यह सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है?तब वह उस मटके को लेकर वहां से घर को चल दिया और घर पहुंचने के बाद उसने ये सब बातें अपनी पत्नी को बताईं।किसान की पत्नी ने इस बातों पर विश्वास नहीं किया और कहा कि आज तक आपने ऐसा मजाक नहीं किया फिर आज क्यों कर रहे हैं?रामलाल बोला मैं मजाक नहीं कर रहा हूं। मैं सच बोल रहा हूं।किसान की पत्नी बोली मैं कैसे मान लूं कि आप सच बोल रहे हो?किसान ने कहा तुम इसमें खुद ही कोई चीज डालकर देखो वह दोगुनी हो जायेगी।किसान की पत्नी ने कहा ठीक है देखते हैं।वह अंदर गई और वहां से एक रोटी लेकर आई और उसने उस रोटी को मटके के अंदर डाल दिया और देखा कि क्या रोटी डबल हो गई है?जैसे ही उसने पलके झपकी वह रोटी डबल हो चुकी थी।किसान की पत्नी को अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ।पर उसे विश्वास करना पड़ा। अंत में किसान की पत्नी ने उस मटके को कहीं पर छिपा दिया।मटके की मदद से लोगों की मदद करना
वो किसान व उसकी पत्नी उस मटके का सदुपयोग करते थे।अगर घर पर कोई गरीब भिखारी आता तो वे अपने घर के खाने को उस मटके में डालकर दोगुना करके भिखारियों को दे देते थे।चोरों का मटके को चुराना
लेकिन एक यह बात उनके घर के पास में रहने वाले चोरों को पता चल जाती है और चोर उनके घर पर रात को चोरी करने आते हैं।घर के सभी लोग सोए रहते हैं।वे सभी लोग छिपकर उस मटके को ढूंढते हैं और उन्हें वह मटका मिल जाता है।वे उस मटके को चुराकर छिपकर ले जाते हैं।अगले दिन वे चोर उस मटके की परीक्षा लेते हैं कि वह मटका वास्तव में काम करता है या नहीं।लेकिन वो तो जादुई मटका था और वो अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा करता था और उस मटके के रहस्य को कोई नहीं जानता था।चोरों के इरादे गलत थे।मटके का टूटना
चोरों ने मटके की परीक्षा लेने के लिए अपने हथियारों को उस मटके में डाल दिया जिससे कि वे सारे हथियार दो गुने हो जाएं।पर इतने हथियारों के वजन से बह मटका टूट जाता है।जिन का चोरों को मारना
और उस टूटे हुए मटके में से एक जिन निकलता है और उन सभी चोरों को मार देता है।उनके हथियार और उनके अड्डे को वह जिन नष्ट कर देता है।नैतिक शिक्षा - "बुरे काम का बुरा नतीजा"।
तो फ्रेंड्स आपको हमारी "जादुई मटके की कहानी" कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं ये भी बताएं।
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