हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको अकबर और बीरबल की सोना मोहर की थैली की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहान...
हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको अकबर और बीरबल की सोना मोहर की थैली की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब इस कहानी को शुरू करते हैं।
अकबर और बीरबल की सोना मोहर की थैली की कहानी
बहुत समय पहले की बात है जब बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था।उसमें राजा बीरबल और बाकी सभी अन्य दरबार वाले बैठे हुए थे।राजा बीरबल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल थे।बादशाह अकबर राजा बीरबल का बहुत सम्मान करते थे।और उनके निर्णय को सर्वोपरि मानते थे।दरबार में सभी दरबारियों के बीच में बहस चल रही थी।2 व्यक्तियों का आना
तभी 2 व्यक्ति आपस में लड़ते हुए आए और उनके हाथ में एक थैली लगी हुई थी।उस थैली में सोने को मोहरें थीं।जब दोनों व्यक्ति दरबार में आ गए तब भी वे लड़ रहे थे। बादशाह अकबर ने उन दोनों व्यक्तियों से रुकने के लिए कहा।तब वे दोनों व्यक्ति रुक गए।बादशाह अकबर ने उन दोनों व्यक्तियों से पूछा कि आप दोनों आपस में लड़ क्यों रहे हो?तब भी वे दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने लगे।तब बादशाह अकबर ने कहा रुकिए आपकी समस्या क्या है,वह बताइए?तब उनमें से एक व्यक्ति बोला - जहांपनाह मैं पेशे से कसाई हूं।तभी दूसरा व्यक्ति बोला - जहांपनाह मैं पेशे से दूधिया हूं।कसाई बोला - जहांपनाह जब मैं अपनी दुकान पर इन मोहरों को जिन रहा था।तब ये वहां पर आया और इसने मेरी मोहरों को चुरा लिया और भाग गया।
मोहरों का मालिक
तभी दूधिया बोला - नहीं,जहांपनाह ये झूठ बोल रहा है।सच बात तो यह है कि जब मैं अपनी दुकान पर बैठा था।तभी मेरी दुकान पर ग्राहक आया और मुझे अपना पहले का उधार चुकाया।तभी मेरे पास ये मोहरें आईं। मैं इन मोहरों को गिनने लगा तभी ये वहां पर आया और मुझे कुछ काम से दुकान के अंदर भेजा।तभी ये मेरी इन मोहरों को लेकर भाग गया।तभी कसाई बोला - ये झूठ बोल रहा है।फिर दूधिया बोला - नहीं,जहांपनाह झूठ मैं नहीं ये बोल रहा है।फिर दोनों में आपस में बहस शुरू हो गई।तभी बादशाह अकबर ने कहा आप दोनों शांत हो जाइए।तब बादशाह बीरबल से बोले - बीरबल ये सोना मोहर की थैली किसकी हो सकती है।बीरबल बोले - जहांपनाह ये तो जांचने पर पता चलेगा।तभी बाहर से भागता हुआ एक आदमी अंदर आता है और बोला - दुहाई हो जहांपनाह!दुहाई हो। तब बादशाह अकबर बोले क्या हुआ ।तब वह बोला जहांपनाह मैं तेली हूं। जो ये सोना मोहर की थैली पर लड़ रहे हैं वो इनकी नहीं मेरी है।वो मेरी है।वो बोला मैं अपनी दुकान पर बैठा हुआ था तभी ये दोनों वहां पर आए और बोले मेरी भैंस दूध नहीं दे रही है। कोई तेल हो तो बताओ।मैंने कहा - तेल तो है।जब मैं तेल लेने अंदर गया तो ये इन मोहरों को चुराकर वहां से ले आय।तब बादशाह अकबर बोले - बीरबल ये मामला तो उलझता ही जा रहा है।
बीरबल का न्याय
तभी बीरबल ने तीनों से पूछा क्या ये थैली आपकी है।तो प्रत्येक ने जवाब दिया हां ये थैली मेरी है।तब बीरबल ने दरवान से कहा कि जाओ और एक पानी का कटोरा लेकर आओ।राजा दरबान गया और पानी से भरा हुआ कटोरा लेकर आया।बीरबल ने उन दोनों से थैली ले ली।तब बादशाह अकबर बोले - बीरबल ये क्या कर रहे हो? बीरबल बोले - बस,देखते जाइए जहांपनाह।बीरबल ने थैली को खोला और सारी थैली की मोहरों को पानी में डाल दिया।सभी मोहरों को पानी में डालते ही उनमें से पानी के ऊपर तेल की परत आ गई।मोहरों का असली मालिक
तभी बीरबल ने बोल दिया - जहांपनाह ये सोना मोहर की थैली तेली की है।तभी बादशाह अकबर ने कहा कि आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं,बीरबल।तब बीरबल ने उत्तर दिया कि जहांपनाह इस पानी को ध्यान से देखिए इसके ऊपर आपको तेल की बूंदें दिखाई देंगी।अकबर बोले - तो क्या? बीरबल ने उत्तर दिया - जहांपनाह,अगर ये सोने की मोहरें कसाई की होती तो पानी में डालने पर खून की बूंदें आ जाती।अगर ये थैली दूधिया की होती तो पानी में दूध की बूंदें ऊपर आ जाती।पर पानी में डालने पर तेल की बूंदें ऊपर आ गई हैं मतलब ये सोना मोहर की थैली तेली की है।बादशाह अकबर ने दोनों से बोला - तुमने हमसे झूठ बोला और किसी अन्य की मेहनत की कमाई को हड़पना चाहते हो,तुमको सजा मिलेगी।बादशाह बोले - सैनिकों जाओ ले जाओ इन्हें और कैदखाने में बंद कर दो।तेली ने राजा बीरबल और बादशाह का धन्यवाद दिया और मोहरें लेकर चला गया।बादशाह अकबर ने बीरबल की प्रशंसा की।और उन दोनों को कैद में डाल दिया गया।नैतिक शिक्षा - सत्य की विजय होती है।
तो फ्रेंड्स आपको हमारी "अकबर और बीरबल की सोना मोहर की थैली की कहानी" कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं ये भी बताएं।
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