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गरुड़ और कछुआ की कहानी।The Eagle and the tortoise story।hindi moral story।

  हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको गरुड़ और कछुआ (The Eagle and the tortoise story) की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे...

 

हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको गरुड़ और कछुआ (The Eagle and the tortoise story) की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब इस कहानी को शुरू करते हैं।




          गरुड़ और कछुआ की कहानी

तो फ्रेंड्स बहुत समय पहले की बात है एक मिलतानपुर नाम का एक गांव था।उस गांव की जनसंख्या करीब 5,000 के लगभग थी।इसलिए उस गांव में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक चीजों की जल्दी कमी आ जाती थी।गांव वालों की किस्मत से उस गांव में बारिश बहुत ही कम होती थी और उस वर्ष के हालात भी अन्य वर्षों की तरह ही थे।

                    गांव में अकाल

लेकिन इस वर्ष ज्यादा लम्बे समय से बारिश नहीं होने से गांव के हालात अत्यधिक ही खराब थे।उस वर्ष में गांव में जो तालाब व अन्य जल के जो स्रोत थे,वे भी सूखने लगे थे।पर उनकी किस्मत से सभी सूखे नहीं थे।और उसी गांव के नजदीक एक जंगल भी था और उस जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे।उस गांव के लोग बहुत अच्छे थे।वे जानवरों से बहुत प्यार करते थे।जानवर भी बहुत समझदार और अच्छे थे।परंतु जंगल में जितने भी तालाब थे सब सूखने लगे थे और वहां के जानवर भी प्यासे मर रहे थे। जो जानवर वहां उस जंगल में रहते थे।वे उस जंगल को छोड़कर पानी की तलाश में इधर - उधर के जंगलों में जाने लगे। जो जीव उस तालाब में रहते थे,जैसे तालाब में रहने वाली मछलियां,कछुए और जल में रहने वाले अन्य सभी जीव मरने लगे थे।उनमें से एक तालाब था जो गांव के नजदीक था उसमें भी बहुत सारे जलीय जीव रहते थे।उन जलीय जीवों में उस तालाब में एक कछुआ भी रहता था।

            कछुए का दोस्तों से मिलना

वो कछुआ भी तालाब के पानी समाप्त होने की वजह से बहुत परेशान रहने लगा था।उस कछुआ के 2 मित्र थे।जो गरुड़ थे।कछुआ ने अपनी समस्या से परेशान होकर अपने 2 गरुड़ मित्रों को बुलाया और कछुआ ने उनको पूरी बात बताई कि उनके गांव में अकाल पड़ा है।सारे तालाब व जल स्रोत सूखते जा रहे हैं।उनमें में कुछ नहीं बचा है।कछुआ ने बताया कि उस तालाब के,जिसमें वो रहता था उसके आधे से ज्यादा जानवर तालाब छोड़कर जा चुके हैं।

           कछुआ के जाने की योजना

कछुआ ने अपने मित्रों से विचार - विमर्श किया कि उन्हें भी इस तालाब को छोड़कर कहीं और चले जाना चाहिए।पर उनके सामने समस्या यह थी कि कछुआ के जो गरुड़ मित्र थे,वे तो उड़कर वहां से आसानी से जा सकते थे।परंतु समस्या उस समय कछुआ के लिए आ गई।क्योंकि कछुआ इतनी दूर पैदल चलकर नहीं जा सकता था और वे कछुआ के जो गरुड़ मित्र थे।वे भी अकेले नहीं जाना चाहते थे।वे अपने साथ कछुआ को ले जाना चाहते थे।इसलिए उन्होंने कुछ देर विचार विमर्श के बाद यह तरकीब निकाली कि दोनों गरुड़ अपनी अपनी चोंच में किसी लकड़ी के सिरे को मजबूती से पकड़ लेंगे।बीच में जो हिस्सा बचेगा उस हिस्से को कछुआ मजबूती से पकड़ लेगा।परंतु इसमें भी समस्या थी कि कछुआ को ज्यादा बोलने की आदत थी।वह चुप नहीं रह सकता था।पर गरुड़ों ने कछुआ को बोलने से मना कर दिया था।कछुआ ने यह मान लिया।

                 कछुआ की मृत्यु

गरुड़ों ने लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से दबा लिया।कछुआ ने लकड़ी के बीच में से सिरे को मजबूती से पकड़ लिया।अब दोनों गरुड़ उड़ने लगे थे।कछुआ को बोले बिना नहीं रहा गया।कछुआ ने बोलना शुरू कर दिया।जैसे ही उसने बोलना शुरू किया।तभी लकड़ी उसके मुंह से छूट गई और वह नीचे जा गिरा।कुछ देर पश्चात वह मर गया।

नैतिक शिक्षा - "ज्यादा बोलना हानिकारक होता है।"

जैसे कछुआ ज्यादा बोलने की आदत की वजह से मर गया।

तो फ्रेंड्स आपको हमारी गरुड़ और कछुआ की कहानी कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं ये भी बताएं।

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