हैलो फ्रेंड्स! आज हम आपको एक हाथी और एक दर्जी(An elephant and a tailor) की कहानी बताऊंगा हम आशा करते हैं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे ...
हैलो फ्रेंड्स! आज हम आपको एक हाथी और एक दर्जी(An elephant and a tailor) की कहानी बताऊंगा हम आशा करते हैं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो फ्रेंड्स अब एक हाथी और एक दर्जी की कहानी को शुरू करते हैं।
एक हाथी और एक दर्जी
बहुत समय पहले कि बात है जब एक रंगालपुर नाम का एक गांव हुआ करता था।उस गांव के लोग बहुत अच्छे थे और वे सभी लोगों की मदद करते थे।उसी रंगालपुर गांव में एक दर्जी रहता था।उस दर्जी की गांव के बाहर एक दुकान थी।उस दर्जी के पत्नि और बच्चे भी थे।वो दर्जी बहुत मेहनती था।दिन रात अपने परिवार के लिए मेहनत करता था।और प्रतिदिन रोजाना अपने घर से खाना साथ लेकर 5 किलोमीटर चलकर अपनी दुकान आता था।और शाम को वो दर्जी देर रात तक काम करता था।जल्दी घर नहीं जाता था।वो रात के 9 बजे अपने काम से फ्री होकर घर जाता था।कभी कभी ज्यादा काम होने पर वो घर बहुत देर से जाता था या फिर कभी कभी घर ही नहीं जाता था।उसकी बस यही दिनचर्या थी।घर से दुकान जाता और दुकान से बाद में घर चला जाता।यह भी पढ़ें -
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गांव में हाथी का रहना
उसी गांव के पास में थोड़ी दूर एक जगह थी।जहां पर एक हाथी अपने बच्चों के साथ रहता था।वो बड़ा ही दयालु और अच्छी प्रकृति का हाथी था।वो हाथी अपने बच्चों के लिए खाना ढूंढकर लाता था।और साथ में उनके साथ खेलता भी था।मतलब उन्हें खुश रखता था और उन्हें कोई भी दिक्कत नहीं होने देता था।वो हाथी शाम के समय रोजाना गांव के नजदीक एक तालाब पर पानी पीने जाता था।पानी पीता और वहां से चला जाता।उसकी यह रोजाना की दिनचर्या थी।उसी तालाब के नजदीक दर्जी की दुकान थी।वहीं पर दर्जी अपना काम करता था।हाथी का दर्जी की दुकान पर जाना
एक दिन हाथी पानी पीकर तालाब से चल दिया।और रास्ते में जो उसे दर्जी की दुकान मिली उस पर वह वहां रुक गया।दर्जी ने हाथी की रुका हुए देखकर दुकान के अंदर गया और और हाथी के खाने के लिए अंदर से ढूंढकर कुछ सामान लेकर आया।और उसे हाथी को खिला दिया।हाथी ने उसे खाया और वहां से अपने घर को चला गया।और शाम हो चुकी थी तो दर्जी का काम भी लगभग समाप्त हो चुका था।और दर्जी भी कुछ देर बाद वहां से चला गया।अगले दिन फिर शाम को हाथी गांव के तालाब के पास पानी पीने के लिए आया।उसने पानी पिया और वो वहां से सीधा दर्जी की दुकान पर चला गया।और पहले की तरह जाकर खड़ा हो गया।तब दर्जी ने हाथी को वहां खड़ा देखकर पुराने दिन की तरह अन्दर गया और वहां से हाथी के लिए कुछ खाने के लिए लेकर आया।हाथी ने खाना खाया और वहां से चल दिया।कुछ दिनों तक यह क्रम चलता रहा और हाथी वहां आता पानी पीता और दर्जी की दुकान पर चला जाता।हाथी का गुस्सा होना
एक दिन हाथी पानी पीकर दर्जी की दुकान पर गया।पर पता नहीं जाने दर्जी को क्या सूझा।वो पुराने दिनों की तरह दुकान के अंदर गया और हाथी के लिए कुछ हाथ में दबाकर लेकर आया।दर्जी ने उसे हाथी को खाने को दिया।जैसे हि हाथी ने खाने के लिए अपनी सूंड आगे की तब दर्जी ने एक सुई निकाली और उसकी सूंड में चुभा दी।हाथी को दर्द हुआ।हाथी को बहुत तेज गुस्सा आया।वह वहां से तुरंत चला गया और अपनी सूंड में तालाब का गंदा पानी लेकर आया।हाथी ने सारा गंदा पानी दर्जी की दुकान में रखे कपड़ों पर डाल दिया और सारे कपड़े गंदे हो गए।साथ में दर्जी भी गंदा हो गया।अब दर्जी को बहुत पछतावा हुआ कि उसने ऐसा क्यों किया।
नैतिक शिक्षा - जैसे को तैसा।
इस कहानी में दर्जी ने हाथी के साथ जैसा किया वैसा ही हाथी ने दर्जी के साथ किया और बदला लिया।
फ्रेंड्स हमारे द्वारा बताई गई एक हाथी और एक दर्जी की कहानी आपको कैसी लगी आप हमें कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर स्टोरी पढ़ना पसंद करते हैं इसे भी बताएं।
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