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शेर और कछुआ की कहानी।Lion and tortoise story in hindi।hindi moral story।

  हैलो फ्रेंड्स आज मैं आपको शेर और कछुआ(A lion and a tortoise) की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।इस कहानी...

 

हैलो फ्रेंड्स आज मैं आपको शेर और कछुआ(A lion and a tortoise) की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।इस कहानी को पढ़ते वक्त आप बोर नहीं होंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब आगे कहानी को शुरू करते हैं।



                  शेर और कछुआ

बहुत समय पहले की बात है एक चंबलपुर नाम का एक गांव था।उस चंबलपुर नाम के गांव के नजदीक एक जंगल था।जंगल बहुत ही समृद्ध और सुंदर था।उस जंगल में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।उस जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे।सभी जानवर अलग थे।उस जंगल में भेड़िया,खरगोश,कछुआ,चूहा,हिरण,कंगारू और अलग अलग प्रकार के जानवर रहते थे।वे सभी जानवर आपस में भाईचारे और बड़े ही प्रेम से रहते थे।वे साथ - साथ खेलते,खाते और सभी साथ में रहते थे।वे सभी आपस में बहुत ही खुश रहते थे।उनके पास कोई भी चीज की कमी नहीं थी।

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                 शेर का आक्रमण

तभी उस समय एक शेर ने उनके जंगल पर आक्रमण कर दिया।शेर बड़ा ही घमंडी,मूर्ख और छलिया प्रवृति का था।शेर ने सभी जानवरों से उसे राजा स्वीकार करने को कहा।शेर ने कहा अगर वो सभी शेर को अपना राजा नहीं स्वीकार करेंगे तो शेर उन्हें खा जाएगा।सभी जानवर उस घमंडी,मूर्ख और छलिया शेर को राजा नहीं मानना चाहते थे।परंतु उन्हें शेर के डर के कारण उसे राजा स्वीकार करना पड़ा। अगर वे सभी शेर को राजा स्वीकार नहीं करते तो वो शेर जानवरों को मारकर खा जाता।परंतु कछुआ ने इन के बाबजूद भी शेर को राजा स्वीकार नहीं किया।शेर एकदम एक राजा की भांति जीवन जीना चाहता था।वह बहुत लालची था।

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             शेर का दरबार लगवाना

उस शेर ने सभी जानवरों से कहकर अपने लिए दरबार लगवाया।जिसमें सभी जानवरों का आना अनिवार्य था।क्योंकि यह उस शेर की आज्ञा थी।अगर वे उस शेर की आज्ञा का पालन नहीं करते तो शेर उन सभी को मारकर खा जाता।इसलिए धीरे धीरे सभी जानवर शेर के डर के कारण वहां दरबार में पहुंचे।लगभग सभी जानवर जो उस जंगल में रहते थे वे सभी शेर के दरबार में पहुंच चुके थे।और इन सभी के बाद में शेर भी वहां पर कुछ देर में पहुंच गया।

             कछुए का शेर को सबक

परंतु कछुए ने शेर को मजा चखाने की सोची।और वो बहुत देर से वहां पहुंचा।वैसे भी उसकी चाल धीमी थी।उसने इसके साथ कुछ देर और कर दी।जब कछुआ शेर के दरबार में पहुंचा तो कछुए को देखकर शेर को बहुत गुस्सा आया।क्योंकि उसकी वजह से शेर को दरबार शुरू करने में समय लग गया।परंतु जब शेर ने कछुए से पूछा कि तुमको आने में इतनी देर कैसे लग गई।कछुए ने तो शेर को मजा चखाने की सोच रखी थी तो इसलिए उसने ऐसा किया।कछुआ ने दो शेरों से पहले ही बात करके उनको तैयार कर बाहर खड़ा कर गया था।इसलिए उस समय 2 शेर पहले से ही दरबार के बाहर खड़े हुए थे और वे शेर का इंतेज़ार कर रहे थे।पर कछुए ने तो अपनी योजना सोच रखी थी।इसलिए उसने कहा कि महाराज मैं तो आपके लिए जंगल में से शिकार ढूंढने गया था कि नए महाराज हैं तो उनको शिकार अच्छा लगेगा इसलिए मुझे देर लग गई।कछुए की इन बातों को सुनकर शेर को लालच आ गया।क्योंकि शेर तो पहले से ही लालची था।

              शेर का जंगल से भागना

उसने कछुए से कहा कि कहां हैं शिकार! जब कछुए ने उत्तर दिया महाराज वो बाहर हैं आप बाहर जाइए और उनको खा जाइए।शेर को अत्यधिक प्रसन्नता हो रही थी और वो कछुए के बहकावे में आकर बाहर चला गया।तो उसने देखा कि बाहर हृष्ट पुष्ट 2 शेर हाथों में हथियार लेकर उसकी मरम्मत के लिए खड़े हुए थे।शेर को देखते ही वे उस शेर पर झपट पड़े और उन दोनों ने जमकर शेर की धुलाई की।दरबार में बाहर से तरह तरह की आवाजें आ रही थी तो सभी जानवरों ने बाहर निकलकर देखा कि वहां क्या हो रहा है?तो उन्होंने देखा कि 2 शेर मिलकर उस धोखेबाज शेर की धुलाई कर रहे हैं।उन्होंने उस शेर को इतना मारा कि वो शेर जंगल छोड़कर भाग गया।जब सभी जानवरों को कछुए के इस कारनामे का पता चला तो उन्होंने कछुए को शावासी दी और उसकी तारीफ भी की।

नैतिक शिक्षा - जैसे शेर ने धोखे से जंगल पर अधिकार किया था उसकी प्रकार कछुए ने उसी धोखेबाजी से शेर को वहां से भगा दिया।"जैसा करोगे,वैसा पाओगे"

तो फ्रेंड्स आपको हमारे द्वारा लिखी गई "शेर और कछुआ" की कहानी कैसी लगी,साथ ही आप किस और टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

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