हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको 2 प्रेमियों के सच्चे प्यार की कहानी(यादराम और गीता (दो प्रेमियों) की सच्ची प्रेम कहानी) बताऊंगा।आशा करता हूं कि...
हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको 2 प्रेमियों के सच्चे प्यार की कहानी(यादराम और गीता (दो प्रेमियों) की सच्ची प्रेम कहानी) बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब इस कहानी को शुरू करते हैं।
यादराम और गीता (दो प्रेमियों) की सच्ची प्रेम कहानी
एक बार एक लड़का था।जिसका नाम यादराम था,जो बहुत ही गरीब परिवार से था । उसके पिता रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। ऐसी स्थिति में बड़ी ही मुश्किल से उनके परिवार का गुजारा होता था। यादराम को उसके पिता पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा व्यक्ति बनाना चाहते थे । इसके लिए वे दिन- रात मेहनत करके उसे पढ़ाने के लिए पर्याप्त धन कमाते थे ।और जो भी धन एकत्रित होता उससे अपने परिवार का गुजारा करते और यादराम की पढ़ाई में लगा देते ।यादराम की भी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रूचि थी ।वह एक सीधा सा भोला-भाला लड़का था ।जो बड़ों का आदर करना जानता था। वह सभी के साथ प्रेम से बातें करता और अपने माता पिता की आज्ञा मानता था।यादराम का प्यार
स्कूली शिक्षा के दौरान ही उसे एक ऐसी लड़की मिली जिससे उसका बहुत लगाव हो गया । वास्तविकता में वो दोनों एक दूसरे को बहुत ही चाहते थे । वो दोनों एक दूसरे की खुशी के लिए हमेशा क्लास में अच्छे अंक प्राप्त करते और अपने माँ -बाबा के सपनों को उम्मीद दिलाते की वो एक दिन उनके सपनों को जरूर पूरा करेंगे ।गीता जो यादराम को बहुत चाहती थी वह यादराम की बहुत फ़िक्र करती थी ।जब किसी कारणवश यादराम स्कूल नहीं आता तो वो बहुत ही बेचैन हो जाती । और जब वो दोनों साथ होते तो बहुत ही खुश रहते । इस तरह यादराम और गीता एक दूसरे के बिना बहुत ही बेचैन रहते ।इसी प्रकार समय के साथ यादराम और गीता धीरे -धीरे बड़े होने लगे । और उनकी खुशियों पर धीरे -धीरे काले बादल छाने लगे ।यादराम और गीता का एक दूसरे से दूर होना
अब दोनों की किस्मत में खुशियाँ और बहुत समय के लिए नहीं थी, और एक दिन ऐसा आया जब यादराम और गीता को एक दूसरे से दूर होना पढ़ा।उन दोनों के स्कूल बदल चुके थे । अब ना तो वो दोनों एक दूसरे को देख सकते थे और ना ही एक दूसरे से बातें कर सकते थे।इस दौरान दोनों की खुशियां दम तोड़ने लगी और वो खुशियां अब धीरे -धीरे ख़ामोशी और दर्द में बदलने लगी । अब दोनों का मन पढ़ाई से उठने लगा क्योंकि दोनों का एक दूसरे से अलग होना उनके लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं था । फिर भी वो दोनों अपने माँ -बाबा की खुशी के लिए अपने सपनों का गला घोंट कर पढ़ने की कोशिश करते, किन्तु यह इतना आसान कहाँ था । कई बार वो दोनों एक दूसरे की ज्यादा याद आने पर रो भी पड़ते । दर्द और ख़ामोशी तो उनके जीवन का एक हिस्सा बन चुकी थी । अब दोनों को इस बात से डर लगने लगा कि वो कभी भी इस तरह अपने और अपने माँ -बाबा के सपनों को पूरा नहीं कर पाएंगे, जिससे उनकी बेचैनी एक गहरे दर्द में बदल जाती ।जब एक दिन अचानक दोनों कि किसी तरह भेट हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न था किन्तु यह ख़ुशी कुछ पलों के लिए ही थी क्योंकि उन्हें तो एक दूसरे से दूर ही रहना था ।उन्होंने निश्चय किया कि चाहे उन्हें कितना ही तड़फना पड़े वो अपने माँ -बाबा कि खुशी के लिए अपनी जिंदगी को कितने भी कठोर रास्ते कि ओर मोड़ देंगे । उन्होंने निश्चय किया कि वो अब ठीक से मन लगाकर पढ़ेंगे और अपनी मंजिलों को करीब करेंगे चाहे उसके लिए उन्हें कितना ही क्यों ना तपना पड़े ।और उसके बाद ही वो एक- दूसरे की जिंदगी बन पाएंगे।यादराम और गीता की कठोर मेहनत का फल मिलना
अब उन दोनों ने अपने दिल को पत्थर कर कठिन मेहनत कि पढ़ाई शुरू कर दी । उन्हें अब बस एक ही जिद थी कि अपनी मंजिल को नजदीक कर एक दूसरे को हमेशा -हमेशा के लिए अपना बनाना है । कई साल गुजर गए वो लगातार अपनी पढ़ाई में जुड़े रहे । उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन वो ऊपरवाला उनकी जरूर सुनेगा । वो एक दूसरे को पाने के लिए इतने पागल हो गए कि वो पढ़ाई के लिए कई बार अपने हाल को भूल जाते । जब भी एक दूसरे कि याद आती उनकी उम्मीद और ज्यादा उफान भरती ।कई सालों बाद जब उनकी मैहनत ने सारी हदें पर कर दी तो एक दिन उनके जीवन में एक ऐसा सवेरा आया जिसने उनके जीवन में खुशियों की किरनें भर दी। यादराम ने एक ऐसी पोस्ट प्राप्त कि जो उनके आस -पास के क्षेत्र में किसी के पास नहीं थी जिसका नाम था -"आई ए एस "।अब यादराम और गीता दोनों कि आखों में ख़ुशी के आँसू थे । उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था । अब यादराम ने अपनी दिल की बात अपने माँ -बाबा को कह डाली । माँ -बाबा भी उसकी बात से सहमत थे,वो अब गीता को विवाह बंधन में बांधना चाहता थे ।होना क्या था, यादराम के माता पिता की ख़ुशी का भी ठिकाना नहीं था क्योंकि आज यादराम ने ऐसी पोस्ट पाकर उनका सिर गर्व से ऊँचा कर दिया था जिसकी सोच भी वहां के लोगों की सोच से परे थी ।अब वो यादराम की हर बात से सहमत थे ।यादराम और गीता को उनका प्यार वापस मिलाना
यादराम के पिता ने उनके रिश्ते की बात गीता के माँ -बाबा से की । उन्हें भी अब कोई एतराज नहीं था । यादराम और गीता की शादी होना उनकी जिंदगी का सबसे कीमती और यादगार वक्त था । शादी के बाद भी गीता ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कुछ ही दिन बाद कुछ ऐसा हुआ की सभी दंग रह गए । गीता एक "आई पी एस" ऑफिसर के रूप में उभर कर आयी । जो उसकी माँ का सपना था । जिंदगी में जितने भी दर्द उन्होंने सही वो सब अब आनंद देने वाली खुशियों में बदल चुके थे । गीता और यादराम के प्रेम ने ना केवल उनकी ही जिंदगी बदली बल्कि हजारों लोगों की सोच बदल दी और उनके लिए प्रेरणादायी प्रेमियों के रूप में प्रसिद्ध हुए ।
नैतिक शिक्षा - प्यार अगर सच्चा हो तो वो एक दिन जरूर मिलता है बस हमें हार नहीं माननी चाहिए ।
तो फ्रेंड्स आपको हमारी यादराम और गीता (दो प्रेमियों) की सच्ची प्रेम कहानी कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं ये भी बताएं।
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