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गोपाल भार और भूत की कहानी।Gopal bhar ki kahani।Moral Story।

  हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको गोपाल भार और भूत की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्...

 हैलो फ्रेंड्स! आज मैं आपको गोपाल भार और भूत की कहानी बताऊंगा।आशा करता हूं कि आप इस कहानी से बोर नहीं होंगे और आप इस कहानी का अच्छे से आनन्द लेंगे।तो चलिए फ्रेंड्स अब इस कहानी को शुरू करते हैं। 




              गोपाल भार और भूत की कहानी

तो फ्रेंड्स बहुत समय पहले की बात है निरंजनपुर नाम का एक गांव था।वहां पर गोपाल भार का एक बच्चा रहता था।उस गांव में वो बच्चा अपनी मां के साथ रहता था।उस गांव में उनका एक घर था और वो गरीब थे।यहां तक कि वे लोग अपने भोजन का खर्चा भी ठीक से चलाने में समर्थ नहीं थे।गोपाल अपने मित्रों के साथ जगह - जगह घूमता रहता था।उसके दोस्त जो गांव में रहते थे वे मध्यमवर्गीय परिवार से थे,इसलिए वे अच्छा भोजन कर सकते थे।


              गोपाल का दोस्त के घर जाना

एक दिन गोपाल अपने एक दोस्त के साथ उसके घर गया।उसने देखा कि उसके घर मिठाई बनी हुई थीं,और उसका दोस्त मजे से मिठाइयों को खा रहा था।अपने दोस्त को मिठाई खाता देखकर गोपाल का भी मन उनको खाने का कर रहा था।और गोपाल का दोस्त भी गोपाल से मिठाई खाने के लिए बोल रहा था।इसलिए गोपाल ने कुछ मिठाई वहां से खाई।उसको मिठाई बहुत पसंद आई।मिठाई को खाने के बाद गोपाल अपने घर चला गया।घर पर जाने के बाद भी वह उन मिठाइयों के बारे में सोच रहा था।गोपाल ने अपनी मां को बताया कि उसने अपने दोस्त के घर मिठाइयां खाई।उसने मां से कहा कि मां तुम भी ऐसी मिठाई कभी बनाओ।उसकी मां ने भी उससे कभी मिठाई बनाने के लिए बोल दिया।गोपाल में गया।लेकिन एक उस अचानक से उन मिठाइयों की फिर से याद आ गई।


                 मां का मिठाई बनाना

फिर उसने अपनी मां से मिठाई बनाने के लिए कहा।उसकी मां मिठाई बनाने के लिए तैयार हो गई।उसने मिठाई बनाने के लिए जगह जगह से सामान इकठ्ठा करना शुरू कर दिया।उसकी मां ने सामान इकठ्ठा किया और मिठाई बना दी।उस मिठाई को देखकर गोपाल ने कहा कि मां इस मिठाई को मैं हमारे घर के पास जो पेड़ है,उस पेड़ के नीचे बैठकर खाऊंगा।उसकी मां ने कहा ठीक है।


                  गोपाल का भूतों से मिलना

गोपाल वहां पेड़ के नीचे चला गया।पर उस पेड़ के नीचे 7 भूत रहते थे।वे 7 भूत बाहर बैठे हुए थे।उनमें से 1 भूत ने कहा कि क्यों न हम इस लड़के की मिठाइयों को खा जाएं।गोपाल की प्लेट में कुल 7 मिठाई के टुकड़े थे।गोपाल ने कहा कि मैं सातों को खा जाऊंगा।बहुत मजा आयेगा।भूत डर गए।और उन्हें लगा की वह हमारी(सातों) की बात कर रहा है।भूत बोले कि छोड़ दो इसे नही तो वो हम सबको खा जाएगा।भूत आपस में कहने लगे कि क्यों न हम इस लड़के से बात करके हम सातों की जान की भीख मांगें बदले में इसको कुछ दे देंगे।सभी भूत मन में सोचने लगे।फिर भूतों ने सहमति में सिर हिलाया और कहा की हां यही ठीक रहेगा।सभी भूत गोपाल के पास गए।भूतों को देखकर गोपाल डर गया।पर वह कुछ नहीं बोला।भूत उसके सामने आकर माफी मांगने लगे।गोपाल को कुछ पता नहीं चला की वे भूत क्या कह रहे हैं? पर जब भूतों ने सातों की बात की तो गोपाल को अपनी पुरानी कही हुई बात याद आई। जो उसने कही थी।गोपाल झूठ - मूट में हां करने लगा।और उसने कहा कि मैं तुम्हे छोड़ दूंगा पर तुम्हें बदले मैं मुझे कुछ देना होगा।


                      जादुई मटका

उनमें से एक भूत को याद आया की उसके पास एक जादुई मटका है।उस भूत ने गोपाल से कहा की उसके पास एक जादुई मटका है।इस मटके से तुम जो कुछ भी बोलकर मांगोगे।ये तुम्हे वही दे देगा।गोपाल ने कहा की मुझे ऐसी ही और मिठाइयां चाहिए।तुरंत ही उस मटके में मिठाइयां आ गईं।गोपाल खुश हुआ।गोपाल ने कहा कि आओ मेरे भूत भाइयों तुम भी इन मिठाइयों को खाओ।भूत और गोपाल मिलकर मिठाइयों को खाने लगे।भूत और गोपाल मिठाइयां खाकर बहुत खुश थे।गोपाल ने कहा की मेरे भूत भाइयों अलविदा अब मैं आपसे बाद में मिलता हूं।भूतों ने कहा कि बीच बीच में मिलने आते रहना।दोनों एक दूसरे की तरफ दुखी भाव से देखने लगे।और गोपाल वहां से चला गया।गोपाल अपने साथ में मटके को लेकर चला गया।गोपाल जब अपने घर गया तो गोपाल की मां ने उससे पूछा कि इस घड़े को तू कहां से लेकर आया।गोपाल ने वो सबकुछ बता दिया,जो उसके साथ हुआ था।पर गोपाल की मां ने गोपाल पर विश्वास नहीं किया।लेकिन जब गोपाल ने अपनी मां के लिए इस घड़े से साड़ी मांगी तो घड़े में तुरंत साड़ी आ गई।जब मां ने यह देखा तो उसे विश्वास हुआ।

तो फ्रेंड्स आपको हमारी "गोपाल भार और भूत की कहानी" कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आप किस टॉपिक पर कहानी पढ़ना पसंद करते हैं ये भी बताएं।

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